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भारत हमारा देश

विश्‍व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक, विश्‍व का सातवां बड़ा देश और बहुरंगी विविधता और समृद्ध सांस्‍कृतिक विरासत का धनी भारत अपने-आप को बदलते समय के साथ परिवर्तित करताआया है।

स्वतंत्रता के पश्चात भारत ने बहुआयामी सामाजिक और आर्थिक प्रगति की है। कृषि में आत्‍मनिर्भर भारत अब दुनिया के सबसे औद्योगीकृत देशों में सम्मिलित है।

अपनी विशालता के कारण शेष एशिया से अलग दिखता हमारा राष्ट्र जिसे पर्वत और समुद्र  इसे विशिष्‍ट भौगोलिक पहचान दिया है। उत्तर में बृहत् पर्वत श्रृंखला हिमालय से घिरा यह कर्क रेखा से आगे सँकरा होता जाता है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर तथा दक्षिण में हिन्‍द महासागर इसकी सीमा निर्धारित करते हैं। भारत देश की इस विशेषता ने इस सम्पूर्णाक्षेत्र को भारतीय उपमहाद्वीप की संज्ञा से सुशोभित किया है।

देश के इतिहास पर गर्व करने के साथ भविष्य के लिए स्वयं गौरवशाली उदाहरण प्रस्तुत करने

बच्चों को जाति−धर्म से अवश्य परिचित कराएँ किंतु

“राष्ट्रीय गौरव−राष्ट्रीय स्वाभिमान“

की शिक्षा सबसे पहले दें।

जिससे राष्ट्र की एकता और अखंडता सुरक्षित रह सके और

“राष्ट्र प्रथम“

की अवधारणा बालपन से ही पनप सके।

यह हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।

जय हिंद
🌸🌸🌺🙏🌺🌸🌸

संविधान

     इण्डिया अर्थात् भारत राज्‍यों का एक संघ है। य‍ह संसदीय प्रणाली की सरकार वाला एक स्‍वतंत्र प्रभुसत्ता सम्‍पन्‍न समाजवादी लोकतंत्रात्‍मक गणराज्‍य है। यह गणराज्‍य भारत के संविधान के अनुसार शासित है जिसे संविधान सभा द्वारा 26 नवम्‍बर 1949 को ग्रहण किया गया तथा जो 26 जनवरी 1950 को प्रवृत्त हुआ।

     संविधान में सरकार के संसदीय स्‍वरूप की व्‍यवस्‍था की गई है जिसकी संरचना कतिपय एकात्‍मक विशिष्‍टताओं सहित संघीय हो। केन्‍द्रीय कार्यपालिका का सांविधानिक प्रमुख राष्‍ट्रपति है। भारत के संविधान की धारा 79 के अनुसार, केन्‍द्रीय संसद की परिषद में राष्‍ट्रपति तथा दो सदन है जिन्‍हें राज्‍यों की परिषद (राज्‍य सभा) तथा लोगों का सदन (लोक सभा) के नाम से जाना जाता है। संविधान की धारा 74 (1) में यह व्‍यवस्‍था की गई है कि राष्‍ट्रपति की सहायता करने तथा उसे सलाह देने के लिए एक मंत्री परिषद होगी जिसका प्रमुख प्रधान मंत्री होगा, राष्‍ट्रपति सलाह के अनुसार अपने कार्यों का निष्‍पादन करेगा। इस प्रकार वास्‍तविक कार्यकारी शक्ति मंत्रिपरिषद में निहित है जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री है।

संविधान की प्रस्तावना

“हम, भारत के लोग,

भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्त्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिये

तथा

इसके समस्त नागरिकों को: 

सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, 
विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, 
प्रतिष्ठा और अवसर की समता 
प्राप्त कराने के लिये तथा उन सब में
व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता 
तथा अखंडता सुनिश्चित करने वाली 
बंधुता बढ़ाने के लिये 

दृढ़ संकल्पित होकर अपनी इस संविधान सभा में आज दिनांक 26 नवंबर, 1949 ई. को

एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।

भारत के राष्ट्रीय पहचान प्रतीक

राष्‍ट्रीय ध्‍वज

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     भारत की संविधान सभा के द्वारा 22 जुलाई 1947 को राष्ट्रीय ध्वज के प्रारूप को अपनाया गया।

     3:2 के अनुपात वाले हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में समान अनुपात में तीन क्षैतिज पट्टियां हैं: केसरिया रंग सबसे ऊपर, सफेद बीच में और हरा रंग सबसे नीचे है। सफेद पट्टी के बीच में नीले रंग का चक्र है। जो की सारनाथ स्थित अशाेक स्तंभ से लिया गया है।

राष्‍ट्रीय पक्षी

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     मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है।

     यह एक रंगीन, हंस के आकार का पंखे आकृति की पंखों की कलगी, आँख के नीचे सफेद धब्‍बा और लंबी पतली गर्दन वाला पक्षी होता है।

राष्‍ट्रीय पशु

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     लावण्‍यता, ताकत, फुर्तीलापन और अपार शक्ति के कारण बाघ को भारत के राष्‍ट्रीय जानवर के रूप में गौरवान्वित किया है।

     अब तक ज्ञात आठ किस्‍मों की प्रजाति में से शाही बंगाल टाइगर (बाघ) उत्‍तर पूर्वी क्षेत्रों को छोड़कर देश भर के साथ पड़ोसी देशों में भी पाया जाता है, जैसे नेपाल, भूटान और बांग्‍लादेश। भारत में बाघों की घटती जनसंख्‍या की जांच करने के लिए अप्रैल 1973 में प्रोजेक्‍ट टाइगर (बाघ परियोजना) शुरू की गई। अब तक इस परियोजना के अधीन 27 बाघ के आरक्षित क्षेत्रों की स्‍थापना की गई है जिनमें 37, 761 वर्ग कि.मी. क्षेत्र शामिल है।

     छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान भी प्राजेक्ट टाइगर में शामिल हो गया है।

राष्‍ट्रीय पुष्प

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     अति प्राचीन काल से भारतीय संस्‍कृति का मांगलिक प्रतीक रहा कमल (निलम्‍बो नूसीपेरा गेर्टन) भारत का राष्‍ट्रीय फूल है। यह पवित्र पुष्‍प है और इसका प्राचीन भारत की कला और गाथाओं में विशेष स्‍थान है।

राष्‍ट्रगान

     जन−गण−मन के हिंदी संस्करण को संविधान सभा द्वारा 24 जनवरी, 1950 को भारत के राष्ट्रगान के रूप में में अपनाया गया था। यह गीत रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा मूल रूप से बांग्ला में रचित है।

राष्‍ट्र गान के पूर्ण संस्‍करण की कुल अवधि लगभग 52 सेकंड है।

राष्ट्रगान का पूर्ण संस्‍करणः−

जन-गण-मन-अधिनायक जय हे
भारत-भाग्‍य-विधाता
पंजाब-सिंधु-गुजरात-मराठा
द्राविड़-उत्‍कल-बंग
विंध्य-हिमाचल-यमुना-गंगा
उच्‍छल-जलधि-तरंग
तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष मांगे,
गाहे तव जय-गाथा ।
जन-गण-मंगल-दायक जय हे
भारत भाग्‍य विधाता ।
जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय जय हे ।

     राष्‍ट्र गान की पहली और अंतिम पंक्तियों के साथ एक संक्षिप्‍त संस्‍करण भी कुछ विशिष्‍ट अवसरों पर बजाया जाता है। संक्षिप्‍त संस्‍करण को गाने की अवधि लगभग 20 सेकंड है।

राष्ट्रगान का संक्षिप्‍त संस्‍करणः−

जन-गण-मन-अधिनायक जय हे
भारत-भाग्‍य-विधाता ।
जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय जय हे ।

राष्‍ट्रीय गीत

     स्‍वतंत्रता की लड़ाई में लोगों के लिए प्ररेणा का स्रोत वन्‍दे मातरम गीत बंकिम चन्‍द्र चटर्जी द्वारा संस्‍कृत में रचा गया है। यह भारत का राष्ट्रीय गीत है। राष्‍ट्रीय गीत गाने का समय लगभग 1 मिनट 9 सेकंड है।

 

राष्ट्रीय गीत - प्रथम छंद

वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्!
शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्,
सुखदाम् वरदाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्॥

राजकीय प्रतीक

National-Emblem.png

     भारत सरकार ने यह चिन्ह 26 जनवरी, 1950 को भारत का राजचिह्न सारनाथ स्थित अशोक के सिंह स्तंभ की अनुकृति है, जो सारनाथ के संग्रहालय में सुरक्षित है को भारत के राजचिन्ह के रूप में अपनाया। मूल स्तंभ में शीर्ष पर चार सिंह हैं, जो एक-दूसरे की ओर पीठ किए हुए हैं। इसके नीचे घंटे के आकार के पदम के ऊपर एक चित्र वल्लरी में एक हाथी, चौकड़ी भरता हुआ एक घोड़ा, एक सांड तथा एक सिंह की उभरी हुई मूर्तियां हैं, इसके बीच-बीच में चक्र बने हुए हैं। एक ही पत्थर को काट कर बनाए गए इस सिंह स्तंभ के ऊपर 'धर्मचक्र' रखा हुआ है।

     इसमें केवल तीन सिंह दिखाई पड़ते हैं, चौथा दिखाई नही देता। पट्टी के मध्य में उभरी हुई नक्काशी में चक्र है, जिसके दाईं ओर एक सांड और बाईं ओर एक घोड़ा है। दाएं तथा बाएं छोरों पर अन्य चक्रों के किनारे हैं। आधार का पदम छोड़ दिया गया है। फलक के नीचे मुण्डकोपनिषद का सूत्र 'सत्यमेव जयते' देवनागरी लिपि में अंकित है, जिसका अर्थ है- 'सत्य की ही विजय होती है'।

मुद्रा चिन्ह

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     भारतीय रुपए का प्रतीक चिन्ह भारत के लोकाचार का भी एक रूपक है। रुपए का यह नया प्रतीक देवनागरी लिपि के 'र' और रोमन लिपि के अक्षर 'आर' को मिला कर बना है, जिसमें एक क्षैतिज रेखा भी बनी हुई है। यह रेखा हमारे राष्ट्रध्वज तथा बराबर के चिन्ह को प्रतिबिंबित करती है। भारत सरकार ने 15 जुलाई 2010 को इस चिन्ह को स्वीकार कर लिया है।

     यह चिन्ह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मुम्बई के पोस्ट ग्रेजुएट डिजाइन श्री डी. उदय कुमार ने बनाया है। इस चिन्ह को वित्त मंत्रालय द्वारा आयोजित एक खुली प्रतियोगिता में प्राप्त हजारों डिजायनों में से चुना गया है। इस प्रतियोगिता में भारतीय नागरिकों से रुपए के नए चिन्ह के लिए डिजाइन आमंत्रित किए गए थे।

राष्‍ट्रीय पेंड़

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     भारत के इतिहास और लोक कथाओं का एक अविभाज्‍य अंग बरगद का पेड़ जिसकी शाखाएं और जड़ें एक बड़े हिस्‍से में एक नए पेड़ के समान लगने लगती हैं। जड़ों से और अधिक तने और शाखाएं बनती हैं। इस विशेषता और लंबे जीवन के कारण इस पेड़ को अनश्‍वर माना जाता है और यह है। यह भारत का राष्ट्रीय पेंड़ है।

राष्‍ट्रीय पंचांग

     भारत का राष्‍ट्रीय पंचांग शक संवत पर आधारित है॥ चैत्र इसका प्रारंभिक माह होता है और ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ साथ 22 मार्च, 1957 से सामान्‍यत: 365 दिन निम्‍नलिखित सरकारी प्रयोजनों के लिए अपनाया गया:

  1. भारत का राजपत्र,

  2. आकाशवाणी द्वारा समाचार प्रसारण,

  3. भारत सरकार द्वारा जारी कैलेंडर और

  4. जनता को संबोधित सरकारी सूचनाएं

 

     राष्‍ट्रीय पंचांग ग्रेगोरियम कैलेंडर की तिथियों से स्‍थायी रूप से मिलती-जुलती है। सामान्‍यत: 1 चैत्र 22 मार्च को होता है और लीप वर्ष में 21 मार्च को।

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