Our Korea: Samundai
- RAJ KUMAR PAL
- Sep 17, 2021
- 2 min read
Updated: May 26, 2022
सीतागुफा
"यदि प्रकृति को जानना है तो सबसे पहले अपने आस-पास के परिवेश को टटोलना चाहिए"
कोरिया जिले को प्रकृति द्वारा अनेक अनुपम उपहारों से सजाया गया है। इस क्रम जिला मुख्यालय से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर सोनहत मार्ग में शिवघाट की पहाड़ियों में बाहरी दुनिया से छुपा हुआ अनुपम स्थल "समुंदई" उक्त पंक्ति को चरितार्थ करता है।

जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर से सोनहत की ओर जाने पर शिवघाट नामक पहाड़ियों की श्रृंखला में खड़ी ऊँची चट्टान को काटकर एक गुफा निर्मित की गई है जिसे स्थानीय लोग "सीतागुफा" के नाम से जानते हैं। स्थानीय जन इस स्थल को भगवान श्री राम के वनवासकाल से जुड़ा हुआ बतलाते हैं।

यह स्थल स्थानीय जनों के लिए आस्था का केंद्र है। चट्टानों को काटकर निर्मित सीढ़ी के द्वारा गुफा के अन्दर पहुँचा जाता है। गुफा के अन्दर दो भाग हैं। बाहरी भाग में श्रद्धालू भजन-कीर्तन करते हैं। गुफा के गर्भ गृह में स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा भक्तिभाव से देवी माता की पूजा-आराधना की जाती है और यहीं जावरा बोते हैं।

घने और दुर्गम वन एवं पहाड़ियों के मध्य खड़ी चट्टान को काटकर निर्मित इस गुफा में एक साथ दस-पंद्रह व्यक्ति आराम से सुरक्षित बैठ सकते हैं।

इस स्थल के करीब पहाड़ियों से बहने वाली जलधारा एक के बाद एक छः छोटे-बड़े जलप्रपात का निर्माण करती है। यहाँ कल-कल करती जलधारा का आनंद लेने का उपयुक्त समय बरसात का मौसम है।

हालाँकि ये जलप्रपात बरसात में ही अपनी छटा बिखेरते हैं और इन जलप्रपातों तक पहुँचना अत्यंत कठिन और थका देने वाली यात्रा है किंतु जलप्रपातों तक पहुँचने पर शरीर पर पड़ने वाले जलबिंदुओं से सारी थकावट पल भर में गायब हो जाती है।

गुफा से नीचे जाने पर प्रथम झरने के समीप कुछ ऐसे पत्थर प्राप्त होते हैं जिन पर आकृतियाँ उकेरी गई हैं। इन आकृतियों के उकेरे जाने के समय के विषय में कुछ भी जानकारी स्प्ष्ट होकर प्राप्त नहीं होती है। चूँकि इस स्थल को स्थानीय ग्रामीणजन प्रभू श्रीराम के वनवास काल से जोड़कर देखते हैं इसलिए यह स्थल पुरातत्व के दृष्टिकोण से शोध के उपयुक्त है।

वर्तमान में पहुँचविहीन होने के कारण यह स्थल अनजान लोगों से दूर है इस स्थल को स्थानीय श्रद्धालूओं ने इस स्थल को संवारने का भरपूर प्रयास किया है। समय-समय पर रंग-रोगन कर स्थल को सुरक्षित रखने का प्रयास किया जा रहा है।

यदि यहाँ तक पहुँच मार्ग का निर्माण कर दिया जाए तो स्थानीय ग्रामीणों के अतिरिक्त अन्य प्रकृति प्रेमियों के लिए भी इस स्थल पर आकर प्रकृति का आनंद लेना सुगम हो सकेगा। आशा है प्रशासन की और से इस स्थल को संरक्षित करने की दिशा में अवश्य ही सकारात्मक पहल हो सकेगा।

यहाँ तक कैसे पहुँचें?
इस स्थल तक पहुँचने के लिए शिवघाट में भगवान भोलेनाथ के मन्दिर के समीप से कच्ची पगडंडी है। जहाँ से पैदल लगभग 2 से 3 किलोमीटर चलकर इस स्थल पर पहुँचा जा सकता है। इसके अतिरिक्त नौगईं-पहाड़पारा में राजीव स्मृति द्वार से सुंदरपुर मार्ग पर लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित स्कूल के समीप से कच्चे मार्ग से होते हुए दोपहिया वाहन के द्वारा वनों के मध्य से होते हुए इस स्थल तक पहुँचा जा सकता है। यह यहअपेक्षाकृत आसान मार्ग है।
यदि प्रकृति आपको लुभाती है और पुरातत्व में आपकी रुचि है तो इस स्थल पर अवश्य जाइए।
इस स्थल तक पहुँचने के लिए google map की सहायता ली जा सकती है।
फिर मिलेंगे एक नए स्थल के साथ
तब तक स्वस्थ रहिए-मस्त रहिए और सुरक्षित ढंग से प्रकृति का आनंद लीजिए
🙏
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