Koi to Swarth ki Bat Hogi
- RAJ KUMAR PAL
- Apr 6, 2021
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Updated: May 26, 2022
कोई तो स्वार्थ की बात होगी

कोई तो स्वार्थ की बात होगी जो,
अपनों का ही खून बहाते हो।
माँ भारती का आँचल रक्त रंजित कर,
तुम कैसे सुकून पाते हो?
खुशियों से भरे घर आँगन में तुम,
कैसे मातम का परचम लहराते हो।
जिन बच्चों के सिर से उठता पिता का हाथ,
उनकी व्याकुलता का भी कभी अनुमान लगाते हो?
अपनों के खातिर जो,
जान हथेली पर ले हो जाते हैं कुर्बान।
क्या बीतती है उसकी माँ पर,
यह जानकर भी बनते हो अनजान।
सूना आँगन-उजड़ी माँग-पथराई आँखें,
कभी पलटकर देखो इन सबको भी।
ऐसी कौन सी विवशता है,
जो पीछे छोड़ देते हो इंसानियत को भी।
आखिर अपने ही लोगों पर यूँ,
कब तक कहर बरपाओगे।
हर साँस उठती सिसकी जो माँ की,
इस दर्द के प्रहार से कब तक बच पाओगे।
गलत है यदि कुछ तो आवाज उठाना गलत नहीं,
लेकिन सही और गलत का भी अंदाजा होना चाहिए।
लोकशाही में अपनी माँगों को मनवाने का,
कुछ तो तकाज़ा होना चाहिए।
समय नहीं बीता है अब भी,
राह सीधे चलकर आओ।
समस्याएँ हैं अगर कुछ तो,
बैठो-बात करो और सुलझाओ।
है कौन सी समस्या जो,
नहीं बातों से सुलझती है।
लेकिन गर इरादे में मक्कारी हो,
तो सीधी डोर भी उलझती है।
यह ना समझो कि इस धरती के बेटे,
प्रतिशोध लेना नहीं जानते।
ख़ामोश हैं बंदूकें अगर तो,
समझदार उन्हें कमजोर नहीं मानते।
जिस दिन अपनी पर आए तो,
दुश्मन मुल्क भी टुकड़े कर देते हैं।
घुस कर सीमा के अंदर,
आतंक के सीने को बारूद से भर देते हैं।
जाग जाओ की;
तुम्हारी माँद में घुसकर शेर वतन के,
आतंक की बखिया उधेड़ देंगे।
लौट आओ सीधे राह कि;
लौटोगे ना कभी इस पावन धरा पर,
माँ भारती के सपूत तुम्हे जहन्नुम की उस सरहद तक खदेड़ देंगे।
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